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अर्का सूक्ष्मजीवीय मिश्रण एक कीटवाहक-आधारित उत्पाद है जिसमें एकीकृत मिश्रण के रूप में नत्रजन स्थिरीकरण, फास्फोरस एवं जिंक घुलनशील और पादप विकासमूलक जीवाणु होते हैं।
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इस प्रौद्योगिकी की खासियत यह है कि इसके उपयोग के साथ किसानों को नत्रजन स्थिरीकरण, फास्फोरस एवं जिंक घुलनशील और पादप विकासमूलक जीवाणिक संरोपों का अलग-अलग रूप से प्रयोग नहीं करना पड़ता है।
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इसका प्रयोग बीज, मृदा, जल और नर्सरी मीडिया, जैसे कि कोकोपीट के माध्यम से सहजता से किया जा सकता है।
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यह प्रौद्योगिकी खेती की लागत को काफी कम कर देती है। इसके अलावा, सम्मिश्रित जीवाणुओं के सहक्रियावादी प्रभाव टिकाऊ सब्जी उत्पादन में सहायता कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी की उपलब्धियां/ उपयोगता/ विशिष्टता/ लाभ
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अगेती बीज अंकुरण।
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पौध 3-4 दिनों तक अगेती प्रतिस्थापन के लिए तैयार हो जाती हैं।
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बढ़ता पौध औज।
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नत्रजन के प्रयोग में कमी और फास्फोरस उर्वरक की आवश्यकता 25 - 30 प्रतिशत होती है।
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विभिन्न सब्जियों में उपज 5-15% बढती है।
प्रयोग की विधि
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बीजोपचार : 100-200 ग्रा. सब्जी बीजों के उपचार के लिए 10-20 ग्रा. संरोप पर्याप्त है।
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कोकोपीट की आवश्यकता : 1000 कि. ग्रा. (1 टन) कोकोपीट को समृद्ध बनाने के लिए एक कि. ग्रा. अर्का सूक्ष्माणु मिश्रण (एएमसी) पर्याप्त है।
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मृदा को गीला करना : इस एएमसी को 20 ग्रा. प्रति ली. की दर से पानी में मिलया जा सकता है और उसके उपरांत प्रतिरोपण के 10 दिनों के बाद जड़ क्षेत्र के आस-पास प्रयोग किया जा सकता है।
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मुख्य खेत में प्रयोग: एक एकड़ जैसे मुख्य खेत में इसका प्रयोग करने के लिए 5 कि. ग्रा. एएमसी को 500 कि. ग्रा. गोबर के साथ मिलाकर खड़ी फसल के जड़ क्षेत्र के आस-पास प्रयोग किया जा सकता है।