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अनुज्ञप्ति के माध्यम से प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण – सफल गाथाएँ

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भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु की संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन एवं व्यवसाय योजना इकाई के बागवानी प्रौद्योगिकी अनुज्ञप्ति एवं इनक्युबेशन मॉडल और इनक्युबेशन के लिए मज़बूत सहायता सुदूर व व्यापक स्तर पर प्रौद्योगिकी के प्रभावी एवं त्वरित प्रचार-प्रसार के सफल और सुस्थिर मार्ग साबित हुई। इस मॉडल ने न केवल संस्थान को नौ वर्षों में आठ करोड़ से ज्यादा आय प्राप्त करने में बल्कि 400 ग्राहकों तक पहुँचने और संस्थान की दृश्यता बढ़ाने में भी मदद की।

चालीस अधिक बागवानी फसलों में कार्य करने वाला संस्थान, भा.कृ.अनु.प.-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूरु फसल-उत्पादकता को बढ़ाने के समर्पित और अथक अनुसंधान-प्रयासों के द्वारा खाद्य-सुरक्षा के अंतरों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा है। भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने अपने अस्तित्व के पिछले 50 वर्षों में विभिन्न बागवानी फसलों की 128 से अधिक उन्नत किस्मों और संकरों का विमोचन किया और इन्हें लोकप्रिय बनाया। इनमें से कई प्रौद्योगिकियाँ व्यापक रूप से अपनाई गईं और कई कृषक परिवार इनसे लाभान्वित हुए तथा अच्छी आय प्राप्त करने में सफल हुए। पिछले कई वर्षों से यह महसूस किया जा रहा है कि भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के अनुसंधान-प्रयासों की दृश्यता एवं प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ उनका प्रभावी प्रचार-प्रसार और बड़े पैमाने पर उनका अभिग्रहण बहुत ही अनिवार्य है।

 

संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई(आईटीएमयु), जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बौद्धिक संपदा नीति के अंग के रूप में 2008-09 से प्रचलन में है, ने निजी व सरकारी उद्यमियों या व्यक्तियों को संस्थान और उनके बीच प्रौद्योगिकी शुल्क और 2-5% की वार्षिक रॉयल्टी देने के आपसी समझौते के तहत 5 से 10 वर्षों के लिए अनुज्ञप्ति के माध्यम से पाँच अलग-अलग विषयों/श्रेणियों, जैसे (1) बीज एवं रोपण सामग्रियाँ (2) पौध-स्वास्थ्य और पौष्टिक उत्पाद (3) सस्योत्तर प्रौद्योगिकियाँ (4) जैवप्रौद्योगिकीय उत्पाद और (5) बागवानी अभियांत्रिकी उत्पाद, में 100 से अधिक प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण किया है। संस्थान ने 400 से अधिक ग्राहकों के लिए 100 से अधिक प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण किया है और बौद्धिक संपदा संबंधी आय के रूप में पिछले नौ वर्षों में रु. 8 करोड़ प्राप्त किए (चित्र 1) ।

चित्र 1 : संस्थान में बौद्धिक संपदा के उपयोग से प्राप्त आय (2009-2017)

कई अनुज्ञप्तिधारी अर्कानामक व्यापार चिह्न के तहत उत्पादों का सफलतापूर्वक बहुलीकरण कर रहे हैं और कई बागवानी फसल-उप्तादकों और अन्य साझेदारों के लिए इनकी आपूर्ती भी कर रहे हैं।