फल फसल प्रभाग
हमारे बारे में
राष्ट्रीय स्तर पर उष्णकटिबंधीय एवं उप-उष्णकटिबंधीय फलों में अनुसंधान और विकास की पूर्ति करने हेतु फल फसल प्रभाग की स्थापना सन् 1968 में की गई। तब से अब तक प्रभाग के अनेक प्रभागाध्यक्ष थे, जिनमें डॉ. सी. पी. ए. अय्यर (1968, 1973-80 एवं 1991-94), डॉ. के. एल. चड्ढा (1969-72), डॉ. ए. जी. पुरोहित (1981-84), डॉ. राजेन्द्र सिंह (1986-90), डॉ. शिखामणि (1995-97), डॉ. वाई. एस. यादव (1997-99), डॉ. जी. एस. प्रकाश (2000-2008), डॉ. चित्तिरैचेल्वन (2009-2014) और डॉ. एम. आर. दिनेश तथा वर्तमान में डॉ. रेजु एम. कुरियन हैं। यह प्रभाग संकरीकरण, मुटेशन, बैकक्रॉस विधि, हाफ सिब्स को ओपी पौध चयन के आधार पर उगाना, विशिष्ट संकरण तथा हैप्लॉइड प्रजनन जैसी प्रजनन तकनीकों को अपनाकर जैविक एवं अजैविक दबावों से प्रतिरोधी उन्नत उत्पादकता, गुणवत्ता के लिए मुख्य रूप से फल फसलों (आम, पपीता, अंगूर, अमरूद, अनार, शरीफा, अंजीर, कटहल, चकोतरा एवं अल्प-शोषित फल) के आनुवंशिक सुधार पर कार्य कर रहा है। उत्पादन के संबंध में, यह प्रभाग उच्च सघन रोपण (एचडीपी), छत्र-प्रबंधन, फसल-विनियमन, अंतरफसल प्रणालियों एवं पोषकतत्व का अनुकूलन, फल-प्रजनन में उन्नयन तथा बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय, बागलकोट एवं भाकृअसं, नई दिल्ली की फल फसलों की राष्ट्रीय समस्याओं पर पाठ्यक्रम भी संचालित करता है।
प्रभाग की अधिदेशित फसलें :
आम, पपीता, अंगूर, अमरूद, अनार, शरीफा, जामुन, चीकू, अंजीर, कटहल, चकोतरा एवं अल्प-शोषित फल।
अधिदेश
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भारत के उष्णकटिबंधीय कृषि जलवायु क्षेत्रों में फल फसलों की उच्च उत्पादकता, गुणवत्ता और उपयोगिता के लिए मौलिक, सामरिक एवं अनुप्रयुक्त अनुसंधान करना।
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प्रमुख फल फसलों और उनके पभावकारी प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय सक्रिय जननद्रव्य स्थल (एनएजीएस) बनाना।
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मानव संसाधनों के विकास के लिए शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
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संबद्ध विभाग को प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण करना और उनके प्रभाव का अध्ययन करना।
महत्वपूर्ण उपलिब्धयां
आम (4), पपीता (2), अमरूद (4), अंगूर (8), शरीफा (1), अनार (1) और लाइम (1) में उच्च उपजशील संकर/किस्में विकसित और विमोचित की गईं। केला, आम, पपीता, अंगूर और अनन्नास के लिए उच्च सघन रोपण (एचडीपी) और पोषकतत्व-आवश्यकता का मानकीकरण किया गया।
प्रमुख कार्य क्षेत्र
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जैविक एवं अजैविक दबावों के लिए प्रजनन।
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उष्णकटिबंधीय फलों में उच्च सघन रोपण (एचडीपी), छत्र-प्रबंधन और डंठल-कलम अंत:क्रिया।
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उच्च उत्पादकता और उत्पादन के लिए उष्णकटिबंधीय फलों में जल उत्पादकता और पोषकतत्व गतिकियां।
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पूर्व-फलन फल-फसल आधारित उद्यान प्रणालियों में अंतर फसलीकरण।
अवसंरचना :
1. ‘वर्तमान में प्रक्षेत्र जीन बैंक संग्रहण :
आम |
667 |
अनार |
203 |
अंगूर |
72 |
कटहल |
67 |
अमरूद |
60 |
जामुन |
50 |
चीकू |
41 |
पपीता |
32 |
शरीफा |
26 |
चकोतरा |
25 |
अल्प-शोषित फल |
38 |
2. मादा पादप का प्रक्षेत्र जीन बैंक
प्रभाग मादा पादपों तथा फल फसल नर्सरी को अनुरक्षित करता है, जिनमें फल फसलों, जैसे कि शरीफा किस्म अर्का सहन; आम किस्में अल्फोंसो, बेंगानापल्ली, तोतापुरी एवं आम्रपाली; अमरूद किस्में अर्का मृदुला, अर्का किरण एवं अर्का रश्मि; चीकू की किस्म क्रिकेट बॉल तथा पपीता की किस्मों, अर्का सूर्या एवं अर्का प्रभात के बीजोत्पादन के लिए सही प्रकार की पादप सामग्रियां उत्पादित की जाती हैं। आम, अमरूद, चीकू, शरीफा और पपीता के बीजोत्पादन क्षेत्र के मादा खण्ड सहित नर्सरी का कुल क्षेत्रफल लगभग 20 एकड़ है।
3. अनुसंधान प्रयोगशाला (4 सं.)
4. अनुसंधान प्रक्षेत्र सुविधा-केंद्र (ब्लॉक 1, ब्लॉक 2 एवं ब्लॉक 9)
5. किसान और वैज्ञानिक परस्पर बैठक
डॉ. रेजु एम. कुरियन
प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी प्रमुख
फल फसल प्रभाग
हेसरघट्टा लेक पोस्ट
बेंगलुरू – 560 089.