केले के लिए पर्णिल सूक्ष्म पोषकतत्व मिश्रण (फसल विशेष सूक्ष्म पोषकतत्व मिश्रण) |
|
अनुप्रयोग/उपयोग: |
यह मिश्रण केले में सूक्ष्म पोषकतत्वों की विकृतियों में जल्दी सुधार लाने हेतु मृदा में सूक्ष्म पोषकतत्वो का प्रयोग करने में अपर्याप्त (5%), विलंबित (30 - 45 दिन) और उच्च लागत वाला मिश्रण है (लागत लगभग रू. 800 कि. ग्रा. बोरान के लिए और रू. 1500 प्रति हैक्टे. मात्र जिंक के लिए)। इस मिश्रण के 3 छिड़काव की लागत रू. 800 प्रति हैक्टे. है, सुधार 24 – 48 घंटों के भीतर लाया जा सकता है और पोषकतत्व उपयोग दक्षता 30 – 40% है। लागत:लाभ अनुपात 9:1 है। |
अपेक्षित निवेश : |
पलवेनाइजर - 50 कि. ग्रा./घंटा मिक्सर 100 कि. ग्रा. /बैच स्थान: 90 वर्ग मीटर (शुष्क यार्ड के साथ), कच्ची सामग्री: जिंक सल्फेट, बोरिक ऐसिड, बोरेक्स, लौहमय सल्फेट, फेरिक साइट्रेट फिलर्स: मैग्निशयम या कैल्शियम सल्फेट; ऊर्जा आवश्यकता 5 एचपी; कच्ची सामग्री का विश्लेषण स्वचालित अवशोषक स्पेक्ट्रो फोटोमीटर (Zn, Fe), दृश्य स्पेक्ट्रो फोटोमीटर (B) में किया जाता है, यदि भुगतान आधारित सेवा पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। स्वयं के उपकरण लगाने की आवश्यता नहीं है। इसका पेटेंट दिनांक 3 मार्च, 2008 को दाखिल किया गया है। |
आउटपुट क्षमता : |
100 कि. ग्रा./ 8 घंटा। (यदि प्रसंस्कृत कच्ची सामग्री तैयार है - 6 श्रम दिवस)। |
विशेष लाभ : |
यह मिश्रण सूक्ष्म पोषक तत्वों में तेजी से सुधार लाता है (24 – 48 घंटे) और इसलिए नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, जल जैसी अन्य निविष्टियों के दुरूपयोग से बचा जा सकता है। मृदा प्रयोग के लिए यह उपयुक्त नहीं है। फल गुच्छों पर इसका छिड़काव किए जाने से उनमें ज़िंक और लौह तत्व में वृद्धि होती है, भारतीय आहार में पोषक तत्वों की कमी में सुधार लाता है - फार्म में इसका मूल्यवर्धन किया जा सकता है। |
इकाई लागत : |
रू. 100 प्रति कि. ग्रा.। |
विवरण : |
जल में घुलनशीलता के साथ इस उत्पाद में Zn, B & Fe रासायनिक रूप से सक्रिय रूप से मौजूद होते हैं। दृश्य निदानों के द्वारा सामान्य सीमित पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए, दक्षिण भारत के केला उत्पादन क्षेत्रों की सभी कृषिजोपजातियों में प्रतिबलित पोषक तत्व विकृतियों की पहचान करने में गहन अनुसंधान के जरिये समावेशित किए जाने वाले पोषकतत्वों और उनके अनुपात को निर्धारित किया गया। इसके रसायनिक पदार्थ जल में घुलनशील हैं और इसमें से विषाक्ता को हटाया गया है। इसलिए कम अनुभवी किसान भी इसे ऐसे स्थान पर उपयोग कर सकते हैं, जहां वर्तमान बाजार में उपलब्ध मिश्रण से विषाक्तता उत्पन्न होती है, यदि उसे ठीक ढंग से प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इस मिश्रण को अर्द्ध शुष्क, उप-आर्द्र और आर्द्र क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है। इसकी लागत रू. 100 प्रति कि. ग्रा. है और कॉमन स्टीकरों, जैसे कि गांव की दुकानों से रू. 2 की लागत के शैम्पू की पाउच खरीदकर उपयोग किया किए जा सकता है। यह सामान्य नीबू के रस के उद्ग्रहण की दक्षता को बढ़ाता है। नेयपूवन, ड्वार्फ केविनडिश, रोबस्टा, ग्रांड नैन (टिशु कल्चर और कल्ले दोनों) सहित सभी किस्मों के लिए खराब जड़-स्वास्थ्य के साथ गार्डन लेंड केला परीक्षण के लिए प्रभावकारी गुच्छ खिलने के पांचवें, छठे और सातवें माह के बाद 5 ग्राम प्रति लीटर की दर से इसका छिड़काव प्रभावकारी है (कल्ले के रोपण के बाद 0.5 प्रतिशत से भिगोना भी काफी प्रभावकारी है)। इसे पादप संरक्षण रासायनिक पदार्थों के साथ मिश्रित किया जा सकता है। मूल सिंद्धांत: भारत में लगभग 2.2 लाख केला भू-जोते हैं और पत्ती विश्लेषण आधारित पोषक तत्व सुधार कार्यक्रम में प्रतिवर्ष 2 लाख नमूनों को शामिल किया जाता है, जो कि एक असंभव-सा कार्य है। प्रतिबलित विकृतियों में सुधार लाने के लिए यह मिश्रण काफी प्रभावकारी सिद्ध हुआ है। इस प्रौद्योगिकी को वर्ष 2002 से उपयोग किया जा रहा है। आईआईएचआर के कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र द्वारा 14.00 लाख रूपयों की लागत के उत्पाद बेचे गए हैं। क्षेत्र-8 के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इसका उन्नयन किया जा रहा है जिसके कारण इसकी काफी मांग है। यह ज़िंक, बोरॉन और लौह तत्व की दृश्य विकृतियों और छुपी आवश्यकता दोनों में सुधार लाने में दक्ष है। |
विकासकर्ता : |
डॉ. एम. एडवर्ड राजा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान प्रभाग, आईआईएचआर, बेंगलुरू। |
संपर्क व्यक्ति : |
निदेशक, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, हेसरघट्टा लेक पोस्ट, बेंगलुरू- 560 089, दूरभाष: 080-28466420-24 (ऐक्सटेंशन 200); फैक्स: 080-28466291; ई-मेल: directoriihr@icar.gov.in (link sends e-mail) |
संस्थान: |
आईआईएचआर, बेंगलुरू |