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पोषकतत्व के आधार पर नारियल जटा के अपर्याप्त अपघटन और विजातीयता के कारण नर्सरी उद्यमियों को प्राय: समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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इससे समस्या से निपटने के लिए आईआईएचआर द्वारा सब्जी-पौध-उत्पादन के लिए अर्का सुगंधित कोकोपीट विकसित किया गया।
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इस उत्पाद को एक कवक मिश्रण का प्रयोग कर कच्ची नारियल जटा के ठोस किण्वन के जरिए विकसित किया गया है।
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संपूर्ण प्रक्रिया को नर्सरी स्तर पर ही तीस दिनों में पूर्ण किया जा सकता है।
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किण्वन प्रसंस्करण पूरा होने पर सामग्री को अर्का जीवाणु सम्मिश्रण से समृद्ध किया जाना चाहिए जिसमें नत्रजन-स्थिरीकरण, फास्फोरस एवं जिंक घुलनशील तथा पादप विकासमूलक जीवाणु होने चाहिए और उसका प्रयोग प्रो-ट्रे सब्जी पौध के उत्पादन के लिए किया जाना चाहिए।
बाजार-संभावना: नारियल जटा, जो जारियल उद्योग का एक उपोत्पाद है, से तैयार किए गए कोकोपीट का उपयोग मुख्यत: प्रोट्रे में सब्जी-पौधों को उगाने के लिए किया जाता है। प्रोट्रे सब्जी पौध-उत्पादन लगातार लोकप्रिय हो रहा है, इसलिए कोकोपीट के लिए बाजार-संभावना भी बढ़ने की उम्मीद की जाती है।
अपेक्षित निवेश : 1 टन क्षमता प्रति दिन की उत्पादन इकाई स्थापित करने तथा गैर-आवर्ती व्यय की पूर्ति करने हेतु लगभग 40,000 रूपयों की आवयकता होती है।
प्रौद्योगिकी की उपलब्धियां/ उपयोगता/ विशिष्टता/ लाभ
उत्पादन की कम लागत और कम समय।
कच्ची नारियल जटा को धोने की जरूरत नहीं होती है, अत: यह पर्यावरणीय रूप से अनुकूल है।
इसे नर्सरी स्तर पर ही स्थापित किया जा सकता है।
विकासमूलक मीडिया का जीवाणुनाशन की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
बेहतर अंकुरण और औजपूर्ण एकसमान पौधें।
इस विकासमूलक मीडिया में उगाई गई पौधों में अगेती प्रतिस्थापन परिपक्वता आ जाती है।