भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने बागवानी फसलों में यंत्रीकरण, मूल्य-संवर्धन और प्रसंस्करण पर शिक्षाविदों और उद्यमियों की परिचर्चा बैठक आयोजित किया।
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलूरु ने 12 फरवरी 2020 को बागवानी फसलों में यंत्रीकरण, मूल्य-संवर्धन और प्रसंस्करण पर शिक्षाविदों और उद्यमियों की परिचर्चा बैठक आयोजित किया। इस बैठक में संस्थान के कर्मचारियों और छात्रों के अतिरिक्त खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, आपूर्ति-श्रृंखला प्रबंधन कंपनियों, खानपान, वित्तीय सेवाओं, एफपीओ, सरकारी विभागों, शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों, स्टार्ट अप उद्यमियों, इंक्युबेटरों और कृषि यंत्र निर्माताओं सहित 89 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में आठ आपूर्ति-श्रृंखला प्रबंधन कंपनियों, जैसे बिग बास्केट, रिलेयंस फ्रेश, वेकूल फुड्स एण्ड प्रोडक्ट्स पर.लि., एमाज़ोन के अधिकारियों; कोका कोला इंडिया, अमूल, निस्सिन फुड्स सहित 12 खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों, के अधिकारियों ने भी भाग लिया। खानपान सेवा उद्योग का प्रतिनिधित्व स्विग्गी ने किया। कृषक उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों का प्रतिनिधित्व किसान साथी, उबुण्टु और परिवर्तन ने किया। आठ कृषि यंत्र निर्माताओं ने भी इस बैठक में भाग लिया। इस कार्यक्रम में केएपीपीईसी एवं डीआईसी, कर्नाटक सरकार के अधिकारियों ने भाग लिया। भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल एवं कोयम्बत्तूर, कृषि विश्वविद्यालया, जीकेवीके; कृषि विश्वविद्यालय, रायचूर के वैज्ञानिकों ने भी इस बैठक में भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ उद्घाटन सत्र के साथ हुआ, जिसमें संयोजक डॉ. एच.एस. ओबरॉय, अध्यक्ष, सस्योत्तर प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग, भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. के स्वागत भाषण दिया। उन्होंने सभा को ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया। इसके बाद श्री मनोज राजन, विशेष सचिव, खाद्य प्रसंस्करण, कर्नाटक सरकार ने उद्बोधन दिया। उन्होंने कर्नाटक राज्य में खाद्य प्रसंस्करण समूहों के विकास के क्षेत्र में किए जारे नए पहल की जानकारी दी। उन्होंने ग्रामीण खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों के विकास में अनुसंधान संस्थानों और सरकारी विभागों के बीच मज़बूत नेटवर्क की भूमिका पर ज़ोर दिया। डॉ. एम.आर. दिनेश, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने उद्योगोन्मुख अनुसंधान कार्य करने पर ज़ोर दिया और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से आग्रह किया कि आगे आए और शैक्षिक संस्थाओं के साथ अधिक सहयोग के क्षेत्रों का सृजन करें। डॉ. पी.एस. तिवारी, प्रभारि निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल ने किसानों और उद्योगों द्वारा सामना की जाने वाली मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए इस प्रकार की परिचर्चा बैठकों के आयोजन की सराहना की। संस्थान प्रबंधन समिति और अनुसंधान सलाहकार परिषद के कृषक प्रतिनिधि डॉ. प्रभाकर और श्री शिवप्रसाद ने किसानों को अपने उत्पाद के लिए सही कीमत नहीं मिलने की बात पर ज़ोर दिया। डॉ. जी. सेंदिल कुमारन, आयोजन सचिव ने आभार प्रकट किया। उद्घाटन सत्र के दौरान भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. और कर्नाटक राज्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण एवं निर्यात निगम लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर तीन प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
“शिक्षा और उद्योग के बीच पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना” विषय से संबंधित तकनीकी सत्र की अध्यक्षता श्री मनोज राजन और सह-अध्यक्षता डॉ. पी.एस. तिवारी ने की। इस सत्र में डॉ. एच.एस. ओबरॉय की भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. की किस्में, यंत्र और प्रौद्योगिकियाँ विषय पर; डॉ. पी.एस. तिवारी की भा.कृ.अनु.प.-के.कृ.अ.सं. की प्रौद्योगिकियाँ विषय पर; डॉ. सी.के. नारायण की भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. में इंक्युबेशन सुविधा का विहंगम दृष्टि विषय पर; डॉ. जी.एस. पिल्लई की आईटीएमयु के माध्यम से प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के तरीके विषय पर; कोक कोला इंडिया के श्री आसीम पारेख की पेय पदार्थ उद्योग की दृष्टि से फल प्रसंस्करण उद्योग द्वारा मदद विषय पर; बिग बास्केट के श्री नवीन कुमार कीखेत से फोर्क तक – तकनीकी अंतक्षेप विषय पर; उफ्लेक्स लिमिटेड के डॉ. रज़ीख खान की एएमएपी – ताजे उत्पादों की निधानी आयु बढ़ाने के एक अभिनव तकनीक विषय पर; स्विग्गी के श्री एन.डी. तिम्मय्या की खानपान उद्योग में ताज़े फलों और सब्जियों की संभलाई की प्रमुख चुनौतियाँ विषय पर; वेकूल फुड्स एण्ड प्रोडक्ट्स लिमिटेड के श्री रामनाथ शेनॉय की बाज़ार से जुड़ी खेती – विकास विषय पर; डॉ. सुरेंद्र सिंह की यंत्रीकरण में एएमएमए की भूमिका विषय पर तथा ज़ेंट्रोन लैब्स के श्री जगदीश की इमेज प्रसंस्करण के माध्यम से फलों व सब्जियों के श्रेणीकरण में नवाचार विषय पर प्रस्तुतियाँ थीं।
“खाद्य प्रसंस्करण एवं यंत्रीकरण में स्टार्ट अप के लिए अवसरों का सृजन” विषय पर आयोजित दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. एम.आर. दिनेश, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. तथा सह-अध्यक्षता डॉ. वीरेन गौडा, अधिष्ठाता, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, रायचूर ने की। इस सत्र में श्री उदित मंगल, प्लस, गुरुग्राम की प्रक्षेत्र स्तरीय सौर ड्रायर एवं शीत गृह में थर्मल ऊर्जा भण्डारण की भूमिका विषय पर; श्री शुभम सिंह की कृषि-आधारित उद्योगों के लिए सी-सीमैप में अवसर विषय पर; श्री सचिन अचिंतालवार, क्लाउडटेल की ई-कामेर्स गेटवे के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण में स्टार्ट अप के लिए अवसर विषय पर; श्री प्रेम राठौड़ की क्षमता उन्नयन और बाज़ार-संपर्क के माध्यम एफपीओ को मज़बूत करना विषय पर; समून्नति के श्री श्रीधर की छोटे जोतवालों के लिए बाज़ार के कार्य में सुविधा विषय पर तथा एर्नस्ट एण्ड यंग के श्री अद्वैत की कर्नाटक में यंत्रीकरण के लिए वित्तीय सेवाएँ और दूरदर्शी समूह निवेश प्रोत्साहन विषय पर प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। डॉ. सी.के. नारायण, प्रधान वैज्ञानिक, भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बेस्ट-हॉर्ट, भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने आभार प्रकट किया।
सत्रों से उभरकर सामने आई मुख्य बिंदुएँ निम्नलिखित हैं :
उद्योगों के प्रतिनिधि भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु की किस्मों, यंत्रों, प्रविधियों और तकनीकियों से प्रभावित हुए और वे संस्थान से दीर्घकालीन सहयोग चाहते हैं।
उद्योग के प्रतिनिधियों ने कटहल के बीज-चूर्ण से बने मूल्य-संवर्धित उत्पाद, आम के प्रोबायोटिक पेय एवं अनार के रस से संबंधित तकनीकियों की सराहना की और वे ऐसे बहुत-से उत्पाद चाहते हैं, जिनमें अतिरिक्त शक्कर, रसायन या अन्य परिरक्षक पदार्थ नहीं हैं।
इस कार्यक्रम ने विभिन्न हितधारकों के बीच चर्चा के अवसर प्रदान किए गए और कुछ मुद्दों का समाधान विभिन्न हितधारकों और अनुसंधान संस्थानों के नेटवर्किंग के माध्यम से स्थल पर ही किया जा सका।
उद्योग समाज के हित के लिए समस्याओं/मुद्दों का समाधान के लिए सरकारी-निजी साझेदारी में कार्य करना चाहते हैं।
उद्योग और संस्थान ताजे और ताजे कटे फलों व सब्जियों की पैकिंग के लिए उपयुक्त जैव-आधारित सामग्रियों के विकास एवं वैधीकरण तथा फलों की सही परिपक्वता-अवस्था के निर्धारण जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं।