प्रौद्योगिकी विवरण
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नए जीनप्ररूपों/ संकरों/कृषिजोपजातियों की पहचान करना काफी हद तक आकृतिविज्ञान पर आधारित होता है और उनकी पहचान करने के दौरान जो कार्य किए जाते हैं वे पर्यावरणीय पभावों, ऐप्स्टिेटिक अनुक्रियाओं तथा अन्य प्रभावों से प्रभावित होते हैं।
- यह एक सरल तकनीक है जहाँ किस्मों/जीनप्ररूपों और संकरों के डीएनए को वियोजित किया जाता है और माइक्रोसेटलाइट मार्करों के द्वारा विशिष्ट फिंगरप्रिंट सृजित किए जाते हैं।
उत्पाद और उपोत्पाद
- एसएसआर मार्कर
प्रौद्योगिकी के लाभ
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यह किस्मों/संकरों और जीनप्ररूपों की पहचान करने में सहायता प्रदान करेगी।
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यह जीनप्ररूपों के नामों की बाहुल्यता को कम करेगी, उदाहरण के लिए एक ही किस्म को विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है।
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यह निर्यात प्रयोजन के लिए किस्मों/हाइब्रिडों और जीनप्ररूपों की पहचान करने में फल उद्योग को सहायता प्रदान करेगी।
लक्षित क्षेत्र/ अंतिम उपयोगकर्ता प्रोफाइल
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वाणिज्यिक उत्पादक/नर्सरियां
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फल प्रजनक
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निर्यातक
बाजार-संभावना
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ये मार्कर विशिष्ट किस्म की पहचान करने में उपयोगी होंगे।
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उत्पादों में भी किसी भी तरह का सम्मिश्रण हो सकते हैं।
अपेक्षित निवेश
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पीसीआर, सेंट्रीफ्यूज, इलेक्ट्रोफोरेसिस सिस्टम के साथ एक प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए 10 लाख रूपयों की आवश्यकता होती है।
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पहले से स्थापित प्रयोगशालाओं के लिए प्रति नमूना व्यय 10 लाख रूपये होगा।
अनुमानित लाभ/ मुनाफा
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प्रति पादप रू. 3-4 का मुनाफा।