चाइना एस्टर (कैलिस्टेफस चाइनेंसिस एल.) नई उभरती पुष्प फसल है। विश्व भर में घरेलू बाग में शोभाकारी पौधे के रूप में इसकी खेती की जा रही है। भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु ने उच्च पैदावार के लिए चाइना एस्टर की किस्म अर्का कामिनी की पहचान की है। कर्नाटक के चार जिलों में आईआईएचआर-इक्रिसाट भू-समृद्धि परियोजना के तहत इस किस्म को लोकप्रिय किया गया था। चिकबल्लापुर जिले के गौरीबिदनूर तहसील के यिदागुर गाँव के प्रगतिशील किसान श्री शिवानंदा ने खरीफ़ 2019-20 के दौरान अपने खेत में आधे एकड़ में चाइना एस्टर की अर्का कामिनी किस्म उगाई। श्री शिवानंदा को अर्का कामिनी के बीज आईआईएचआर-इक्रिसाट भू-समृद्धि परियोजना के तहत भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु और कृषि विज्ञान केंद्र, चिक्कबल्लापुर ने दिए थे। भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु के वैज्ञानिकों जैसे डॉ. आर. सेंदिल कुमार, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. अनिल कुमार नायर, डॉ. जे. सतीशा और सुश्री लक्ष्मी, एसओ, इक्रिसाट के मार्गदर्शन में उन्होंने पौध को पहले नर्सरी में उगाया और बाद में अगस्त में पौधों के बीच 30 से.मी. और पंक्तियों के बीच 45 से.मी. की दूरी में लगाया। उन्होंने भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. द्वारा अनुशंसित मानक कृषि क्रियाओं को अपनाया। उन्होंने आईआईएचआर के वैज्ञानिकों (डॉ. आर. सेंदिल कुमार, डॉ. पी.सी. त्रिपाठी), कृषि विज्ञान केंद्र, चिंतामणी के कर्मचारियों और इक्रिसाट की सुश्री लक्ष्मी से निरंतर संपर्क किया, जिन्होंने भू-समृद्धि परियोजना के तहत उनके खेत का नियमित दौरा किया था। फूल अक्तूबर में दशहरा और दीपावली के समय तुड़ाई के लिए तैयार हुए। किसान को आधे एकड़ से 1.0 टन की अच्छी पैदावार मिली और इसे आसपास के बाज़ार अर्थात एपीएमसी, गौरीबिदनूर में औसतन रु. 60 प्रति किलो के हिसाब से बेच सके। बाज़ार में अर्का कामिनी का रंग बहुत पसंदीदा है। बेहतर रंग, आकार और समान पुष्पण के कारण वे अर्का कामिनी के निष्पादन से बहुत खुश हुए। किसान ने मज़दूरों और अन्य सभी उत्पादक सामग्रियों के लिए कुल रु. 30,000/- खर्च किया और उन्हें आधे एकड़ में रु. 60,000/- की आय मिली। उन्हें आधे एकड़ में तीन महीने की फसल से रु. 30,000/- का शुद्ध लाभ मिला। किसान को को खुशी हुई कि चाइना एस्टर की अर्का कामिनी किस्म की अच्छी पैदावार और शुद्ध लाभ मिला। उन्होंने कहा की चूँकि इस किस्म में आकर्षक रंग के फूल जल्दी लगते हैं, जिसको स्थानीय बाज़ार में ज्यादा पसंद किया जाता है और इसे अच्छी कीमत भी मिल जाती है। जब उन्होंने इस किस्म की खेती प्रारंभ की तब आसपास के गाँवों के किसानों को भी इस किस्म के प्रदर्शन का पता चला। उन्होंने अपने गाँव के और आसपास के गाँवों के किसानों को भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. द्वारा विकसित इस प्रकार के उन्नत किस्मों को उगाने के लिए प्रेरित किया। चाइना एस्टर की अर्का कामिनी किस्म के उत्कृष्ट निष्पादन को देख कर उनके खेत में एक कृषि दिवस आयोजित किया गया, जिसमें 50 किसानों ने भाग लिया। उस गाँव के और आसपास के गाँवों के किसानों ने अर्का कामिनी की खेती में रुचि दिखाई।