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काइटिनेस जीन-संवर्ध

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प्रौद्योगिकी का विवरण  

  • ट्राइकोडर्मा हर्जियानम एक लोकप्रिय जैवनियंत्रण कारक है जिसका उपयोग फाइटोपादप कीट रोगाणु कवक को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।

  • काईटिनेस रोग-प्रतिरोधी पादपों के उत्‍पादन के लिए संभवत: उपयोगी पराजीन हैं।  

  • अत:, ट्राइकोडर्मा हर्जियानम के स्‍थानीय वियुक्‍तों से वियोजित काईटिनेस जीन का प्रयोग करते हुए ट्राइकोडर्मा हर्जियानम काईटिनेस जीन-संवर्ध विकसित किया गया।   

उत्‍पाद और उपोत्‍पाद

कोई विवरण नहीं

प्रौद्योगिकी के लाभ  

  • ट्राइकोडर्मा एंडोकाईटिनेस पादपों, जीवाणुओं या अन्‍य कवक में पाए जाने वाले काईटिनेस की तुलना में कवक को नियंत्रित करने में काफी प्रभावकारी होते हैं।

  • विकसित काईटिनेस जीन-संवर्ध की दक्षता को रोगाणु (अल्‍ट्रनेरिया अल्‍ट्रनेट) निरोधी अध्‍ययनों के माध्‍यम से कृत्रिम परिवेश में विकसित जीन-संवर्ध के साथ संचारित पादपों की वियोजित तंबाकू पत्तियों में आल्‍टरनेरिया अंगमारी से बढ़ते प्रतिरोध के जरिये इन विवो प्रदर्शित किया गया।   

लक्षित क्षेत्र/ अंतिम उपयोगकर्ता की प्रोफाइल

  • संस्‍थानों, विश्‍वविद्यालयों में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग/ अनुसंधान प्रयोगशालाएं।

बाजार-संभावना  

  • जीन-संवर्धों की उपलब्‍धता से अनुसंधान व विकास परियोजनाओं को आरंभ किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी जीन-संवर्धों के विकास और परीक्षण के लिए अपेक्षित समय को भी काफी कम कर देती है।  

अपेक्षित निवेश

  • जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला स्‍थापित की जानी चाहिए।

अनुमानित लाभ/मुनाफा

लागत:लाभ:अनुपात

  • ऐसे क्षेत्र के लिए उपयुक्‍त विकल्‍प जहां प्रतिरोध स्रोत का अभाव है।

  • इससे रोगाणु के वंशानुगत अंतरों के कारण प्रतिरोध न होने की समस्‍या से निपटने की उम्‍मीद की जाती है।