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कृषि विज्ञान केंद्र, गोनिकोप्पल, कोडगु (अत्तूर फार्म) में दो दिवसीय किसान मेला आयोजित किया गया

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कृषि विज्ञान केंद्र, गोनिकोप्पल, कोडगु (अत्तूर फार्म) में दो दिवसीय किसान मेला आयोजित किया गया।

कृषि विज्ञान केंद्र, गोनिकोप्पल, कोडगु (अत्तूर फार्म) में 11-12 मार्च 2020 को दो दिवसीय किसान मेला एवं कृषि अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी के सहयोग से आयोजित इस मेले में कई किसान-अनुकूल तकनीकियों का प्रदर्शन किया गया। डॉ. शंकर हेब्बार, प्रधान वैज्ञानिक, भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु ने सब्जियों की खेती और पॉलीहाउसों की एक संक्षिप्त भूमिका दी। डॉ. के. राजु, संयुक्त निदेशक, कृषि, कोडगु ने कहा कि किसानों में अद्यतन कृषि तकनीकियों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता लाना इस कार्यक्रम का उद्देश्य था। डॉ. साजु जॉर्ज, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र ने केंद्र में उपलब्ध विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों की जानकारी दी।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री बी.ए. हरीश, अध्यक्ष, जिला पंचायत, कोडगु ने किया। मुख्य अतिथि श्रीमती सरोजम्मा, जिला पंचायत सदस्य ने प्रदर्शन स्टालों का उद्घाटन किया। डॉ. जी. कुशालप्पा, अधिष्ठाता, वानिकी महाविद्यालय, पोन्नमपेट ने भी सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. एम.आर. दिनेश, निदेशक, भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु ने भा.बा.अनु.सं., बेंगलूरु में उपलब्ध बागवानी फसलों में किसानोपयोगी तकनीकियों, यंत्रों, जैव-उर्वरकों, जैवकीटनाशकों, सूक्ष्मपोषक तत्व मिश्रणों, इंक्युबेशन सुविधा के बारे में बताया, जिन्हें कृषि विज्ञान केंद्र, गोनिकोप्पल के माध्यम से कोडगु जिले के किसानों को उपलब्ध किया जा सकता है। इस जिले में बागवानी तकनीकियों को अपनाने और किसानों की आय में बढोत्तरी करने की अपार क्षमता है।

उद्घाटन समारोह के दौरान विराजपेट के किसान श्री एम.एम. अय्याप्पा, जिन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से अर्का सूक्ष्मजीवीय मिश्रण को कोडगु जिले में परिचित करवाया, श्री किशोर नच्चप्पा को कृषि पत्रकारिता के माध्यम से कृषि तकनीकियों के प्रचार-प्रसार के लिए तथा श्रीमती सुजा को एएससीआई द्वारा प्रायोजित कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लेने के बाद खुम्ब की खेती में सफलता हासिल करने के लिए सम्मानित किया गया। कृषि विभाग ने कोडगु जिले के किसानों को अपनी-अपनी उपलब्धियों का सम्मान किया।

तकनीकी सत्र में डॉ. शिवप्रसाद, उप निदेशक ने कॉफी में मिट्टी के परीक्षण और समेकित पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियों के महत्प पर प्रकाश डाला। विषय विशेषज्ञ श्री देवय्या, के.ए. ने काली मिर्च के बहुगुणन के लिए जाल-पद्धतियों की जानकारी दी। श्री तिम्मय्या, कृषि पण्डित ने धान की अधिक पैदावार लेने में यंत्रीकरण के खुद के अनुभवों को साझा किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ. एस.जे. अंकेगौडा, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान का क्षेत्रीय केंद्र, अप्पंगला ने कॉफी-आधारीत कृषि-पद्धति में काली मिर्च के समग्र प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। डॉ. ए.एस. शांतेश, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, पशु विज्ञान एवं पशुचिकित्सा विज्ञान, विराजपेट तहसील ने मिश्रित कृषि-पद्धति में दूध, माँस और खाद के लिए पशुधन के महत्व पर व्याख्यान दिया। डॉ. एस.सी. सुरेश, विषय विशेषज्ञ (पशुधन) ने वैज्ञानिक शूकर पालन पर व्याख्यान दिया। श्रीमती वीणा सुधीर, पुरस्कृत किसान ने समेकित कृषि-पद्धति में अपने अनुभवों को साझा किया। श्री के.पी. सुब्बय्या, अध्यक्ष, पुत्तरी कृषक उत्पादक संगठन ने कॉफी के विपणन में अद्यतन प्रगति और पुत्तरी कृषक उत्पादक संगठन के पहल पर व्याख्यान दिया।

समापन समारोह में श्री श्रीनिवास पी.वी., डीडीएम, नबार्ड, कोडगु ने किसानों व ग्रामीण संस्थाओं के लिए नबार्ड की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। श्री विजय अंगडी, कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी, मडिकेरी ने इस प्रकार के कार्यक्रम की प्रासंगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि आगामी कार्यक्रमों में जैविक खेती पर एक विशेष सत्र आयोजित किया जा सकता है। इस अवसर पर किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के विभिन्न प्रदर्शन प्रक्षेत्रों, जैसे सब्जियों का प्रदर्शन प्रक्षेत्र, जहाँ एक एकड़ में ऊँची क्यारी, फर्टिगेशन के साथ में पॉलिथीन पलवार प्रणाली में विभिन्न किस्में (मिर्ची – अर्का मेघना व अर्का ख्याति; बैंगन –अर्का केशव; फ्रेंचबीन – अर्का सुकोमल; लंबी लोबिया – अर्का मंगला, लोबिया- अर्का सुमन, सेम – अर्का आदर्श) उगाई जा रही हैं, पशुधन इकाई – शूकर पालन, बकरी पालन, डेयरी, कुक्कुड़ पालन एवं चारा फसल तथा काली मिर्च, सुपारी और कॉफी की प्रवर्धन इकाई, सौर ऊर्जा चलित सिंचाई इकाई और प्रक्षेत्र यंत्र इकाई का दौरा करवाया गया।

इस अवसर पर किसानों के फ़ायदे के लिए 20 से अधिक स्टालों की व्यवस्था की गई, जिसमें सरकरी, निजी और कृषक उत्पादक संगठनों के स्टाल थे। इस दो दिवसीय मेले में 750 से अधिक किसानों ने भाग लिया और वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और अधिकारियों से चर्चा की। प्रतिभागी किसानों ने इस मेले के आयोजन के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस प्रकार का मेला किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन देने और सुस्थिर तरीके से किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा।