केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र (भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं.), भुबनेश्वर ने सुस्थिरता के लिए कम उत्पादक सामग्रियों के प्रयोग से फलोत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।
केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र (भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं.), भुबनेश्वर ने जैविक उत्पादन सामग्रियों के माध्यम से फलोत्पादन की क्षमता का पता लगाने और अधिक लाभकारिता के लिए उत्पादन सामग्रियों के अनुकूल प्रयोग के उद्देश्य से 07 मार्च 2020 को सुस्थिरता के लिए कम उत्पादक सामग्रियों के प्रयोग से फलोत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में ओडिशा के विभिन्न जिलों, जैसे बौध, नयगढ, सुंदरगढ, बडीपदा, देवगढ और खुर्दा के लगभग 40 किसानों ने भाग लिया। डॉ. ए.एस. राजपूत, क्षेत्रीय निदेशक, जैविक खेती का क्षेत्रीय केंद्र ने बागवानी में जैविक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. जी.सी. आचार्य, अध्यक्ष, के.बा.प.कें, भुबनेश्वर ने पर्यावरणीय सुस्थिरता के लिए कम उत्पादन सामग्रियों से फलोत्पादन के महत्व पर ज़ोर दिया और उन्होंने बागवानी के विकास के लिए इस केंद्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया। श्री आकाश चौरसिया, मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध प्रगतिशील कृषक ने बागवानी में जैविक खेती और बहु-परतीय खेती के लाभों की जानकारी दी। डॉ. कुंदन किशोर ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया और डॉ. पी. श्रीनिवास ने आभार प्रकट किया।
तकनीकी सत्र में डॉ. ए.एस. राजपूत ने बागवानी में जैविक खेती की स्थिति और संभावनाओं का तथा इसको बढावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे पहलों का विस्तृत विवरण दिया। श्री आकाश चौरसिया ने जल, पोषकतत्व और कीट के सक्षम प्रबंधन के लिए जैविक खेती के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जैविक खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न प्रकार की उत्पादन सामग्रियों का भी वर्णन किया। उन्होंने प्रति इकाई में अधिक उत्पादन के लिए बहु-परतीय खेती पर भी विस्तार प्रकाश डाला। डॉ. पी. श्रीनिवास ने जैविक उत्पादन सामग्रियों के प्रयोग से आम के उत्पादन की जानकारी दी और डॉ. कुंदन किशोर ने जैविक खेती के लिए फल फसलों की उपयुक्तता तथा आम, ड्रैगन फल और अनन्नास की बहु-परतीय खेती की जानकारी दी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागीगण जैविक खेती के विभिन्न मार्गों और बहु-परतीय खेती की संभावनाओं की जानकारियों से लाभान्वित हुए। उन्हें लाभाकारिता बढाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए उत्पादन सामग्रियों के सक्षम प्रबंधन के द्वारा फल फसलों को उगाने के पहल करने की सलाह दी गई। इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. कुंदन किशोर ने किया।