केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, भुबनेश्वर ने 14 जनवरी 2020 को ओडिशा के नयागढ़ जिले के नुआगाँव तहसील के संपादा गाँव में “अमरूद में छत्र-प्रबंधन और पौध-संरक्षण तकनीक” पर कृषि दिवस आयोजित किया । छत्र-प्रबंधन और पौध-संरक्षण उपायों पर विशेष ज़ोर देते हुए अमरूद के बागान-प्रबंधन के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था। इस केंद्र के वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों ने 20 एकड़ में फैले अमरूद के बागान का दौरा किया। प्रक्षेत्र निरीक्षण और श्री शंक्षन साहु और अन्य बागान मालिकों से हुए चर्चा के आधार पर फसल की खेती में तुरंत वैज्ञानिकों का परामर्श आवश्यक मुद्दों की पहचान की गई और तदनुसार, अधिक आर्थिक लाभ हेतु किसानों को विशेष सलाह दिए गए। डॉ. दीपा सामंत, वैज्ञानिक – बागवानी (फल विज्ञान), केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, भुबनेश्वर ने एक आदर्श पेड़-संरचना के विकास और टिकाऊ आधार पर उच्च पैदावार प्राप्त करने के लिए बागान-स्थापना की प्रारंभिक अवस्था में अमरूद के पेड़ की कटाई-छँटाई के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. कुंदन किशोर, प्रधान वैज्ञानिक - बागवानी (फल विज्ञान) ने पोषक तत्व-प्रबंध और सिंचाई के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और इनका प्रदर्शन भी दिखाया। डॉ. जी. संगीता, प्रधान वैज्ञानिक (पादप रोग विज्ञान) ने विभिन्न कीटों व बीमारियों के कारण फसलों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किसानों द्वारा अपनाने हेतु विभिन्न पौध-संरक्षण उपायों को की जानकारी दी। पौध-संरक्षण रसायनों की सँभलाई और छिड़काव के समय किसानों को पर्याप्त सावधानी बरतने और सुरक्षा उपायों (सुरक्षात्मक कपड़े, चश्मे, दास्ताने और मुखावरण आदि पहनने) को अपनाने की सलाह दी गई।
कटाई-छँटाई और छत्र-प्रबंधन हेतु केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, भुबनेश्वर द्वारा मानकीकृत तकनीकियों का प्रदर्शन श्री मनोज पटनाइक, वरिष्ठ तकनीकी सहायक, के.बा.प.के., भुबनेश्वर की मदद से किया गया।
उप निदेशक (बागवानी), नयागढ़, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, नयागढ़ और सहायक बागवानी अधिकारी, दासपल्ल की उपस्थिति में किसानों के साथ एक परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम का समापन श्री मनोज पटनाइक, वरिष्ठ तकनीकी सहायक के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस कृषि दिवस में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. दीपा सामंत ने डॉ. जी. संगीता, डॉ. कुंदन किशोर और श्री मनोज पटनाइक की मदद से किया।