भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) ने फलों, सब्जियों, फूलों और औषधीय फसलों पर अपने छह दशकों के अनुसंधान में 327 किस्में/संकर और 154 प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। संस्थान में विकसित उन्नत एवं तनाव सहनशील किस्मों/संकरों में फल फसलें (38), सब्जी फसलें (149) तथा पुष्प एवं औषधीय फसलें (140) शामिल हैं। केंद्रीय किस्म विमोचन समिति (सीवीआरसी) और राज्य किस्म विमोचन समिति (एसवीआरसी) द्वारा कई किस्मों को अधिसूचित भी किया गया हैं। भा.कृ.अनु.प.- भा.बा.अनु. सं.द्वारा विकसित फलों, सब्जियों, फूलों और औषधीय फसलों की तेरह उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और पोषक तत्वों से भरपूर किस्मों को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 11 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में “विभिन्न क्षेत्रीय और बागवानी फसलों की 109 जलवायु अनुकूल किस्मों” के विमोचन कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा। फल फसलों के संकर अर्का उदय (आम) और अर्का किरण (अमरूद) उच्च उपज देने वाले और उच्च टीएसएस के साथ अर्ध- दृढ़ हैं तथा उच्च घनत्व वाले रोपण के लिए उपयुक्त हैं। अर्का उदय किस्म में कैरोटीनॉयड तथा अर्का किरण किस्म में लाइकोपीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। प्यूमेलो की अर्का चंद्रा किस्म, एक प्रचुर उत्पादक किस्म है, जिसका गूदा मीठा और कम कड़वाहट (नारिंजिनिन तत्व) युक्त है ।
भिंडी संकर, अर्का निकिता आयोडीन समृद्ध आनुवंशिक नर बंध्यता लाइन है जो पीला शिरा चित्तीदार विषाणु (YVMV) की प्रतिरोधी है । सेमफली की किस्म अर्का विस्तार बेल प्रकार की है तथा प्रकाश-संवेदी है, जिसकी फली उपज 37.0 टन/हेक्टेयर है। रजनीगंधा की अर्का वैभव किस्म में दोहरे सफेद फूल होते हैं और यह कर्तित पुष्प उत्पादन के लिए आदर्श है, जिसकी उपज स्तर 2.5-3.0 लाख स्पाइक्स प्रति हेक्टेयर है । अर्का श्रीया, बड़े और अनोखे फूल वाली क्रॉसेंड्रा की किस्म है, जिसके फूल नारंगी-लाल रंग के होते हैं और यह उच्च उपज (2.23 टन/एकड़/वर्ष) देती है, तथा फाइटोफ्थोरा विल्ट के प्रति मध्यम प्रतिरोधक है। ग्लेडियोलस की अर्का अमर और अर्का आयुष, फ्यूजेरियम विल्ट की प्रतिरोधी किस्में हैं । कौंच (वेलवेट बीन) की दो किस्में अर्का धन्वतरि और अर्का दक्ष उच्च एल-डोपा सामग्री के साथ गैर खुजली वाली किस्में हैं। अर्का अश्वगंधा किस्म की जड़ उपज और विथानोलाइड सामग्री अधिक होती है और यह जीवाणुजनित विल्ट (बैक्टीरियल विल्ट) और पछेती तुषार (लेट ब्लाइट) रोगों के प्रति सहनशील होती है । मंडूकापर्णी (सेंटेला एशियाटिका) की अर्का प्रभावी किस्म उच्च उपज देने वाली है तथा इसमें एशियाटिकोसाइड की मात्रा भी अधिक है।