11.3.1
Objective:
- शिमलामिर्च और चाइना ऐस्टर की बीज उपज और बीज गुणवत्ता पर प्रमुख एवं लघु पोषक तत्वों के पर्णिल प्रयोग के प्रभाव का पता लगाना।
- शिमलामिर्च में उच्च बीज उपज और गुणवत्ता के लिए फलों की इष्टतम संख्या का निर्धारण करना।
इस कार्यक्रम के आरंभ होने की तारीख
1-4-2009.
PI:
डॉ. एल. बी. नाइक
CO PI:
एच. एस. योगिशा
Achievements:
- शिमलामिर्च में बीज उत्पादन और गुणवत्ता पर सूक्ष्म पोषकतत्वों के पर्णिल छिड़काव के प्रभाव पर किए गए अध्ययनों में यह पाया गया कि मैग्नीज (0.5%) का छिड़काव किए जाने से सर्वाधिक बीज उपज (66.27 कि. ग्रा. प्रति हैक्टे.) प्राप्त की गई, जो कि अनुपचारित (45.97 कि. ग्रा. प्रति हैक्टे) की तुलना में 44% अधिक थी।
- नेट हाउस स्थिति के तहत शिमलामिर्च की बीज उपज और गुणवत्ता पर फल स्थिति के प्रभाव पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि यद्यपि बीज उपज के लिए उपचारों में कोई खास विचलन नहीं था, फिर भी उस उपचार में सर्वाधिक बीज उपज (66.08 कि. ग्रा. प्रति हैक्टे.) दर्ज की गई, जहां बीज के लिए 6 फलों की तुड़ाई की गई थी और शेष फलों की तुड़ाई ग्रीन मार्किटेबल के स्तर पर की गई।
- प्रतिरोपण के 60 दिनों के बाद शुरू करते हुए 15 दिनों के अंतराल पर सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण, यानी, ज़िंक, सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, मैंगनीज़ सल्फेट, आयरन सल्फेट, अमोनियम मॉलिब्डेट एवं बोरिक एसिड @ 0.5 % की दर से तीन बार पर्णिल छिड़काव किए जाने से चाइना ऐस्टर किस्म कामिनी में सर्वाधिक बीज उपज (202 कि. ग्रा. प्रति हैक्टे) प्राप्त की गई, जबकि कंट्रोल में न्यूनतम बीज उपज (127 कि. ग्रा. प्रति हैक्टे.) दर्ज की गई।