कार्यक्रम-1 : बागवानी-आधारित एकीकृत कृषि-प्रणालियों में जल-संग्रहणऔर केंचुआ खाद बनाने के माध्यम से कृषि-अपशिष्टों का पुन:चक्रण
स्वच्छता पखवाड़ा आयोजित करने के संबंध में कार्यालय के दिनांक 12.12.2019 के परिपत्र के अनुसार, फल फसल विभाग ने 23 दिसंबर 2019 को बागवानी-आधारित एकीकृत कृषि-प्रणालियों में जल-संग्रहण और केंचुआ खाद बनाने के माध्यम से कृषि-अपशिष्टों का पुन:चक्रण पर एक अभियान चलाया। इस कार्यक्रम संस्थान के कर्मचारियों के साथ बीजापुर, कर्नाटका और सीताकेम्पनाहल्ली के किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पी. नंदीशा और निक्रा परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. आर.एच. लक्ष्मण भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का विवरण निम्नलिखित है:
डॉ. बी.एल. मंजुनाथ, प्रधान वैज्ञानिक, फल फसल विभाग ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रम के बारे में एक संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने आम-आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली के विशेष संदर्भ में जल-संग्रहण और पुन:चक्रण तथा पानी का किफ़ायती उपयोग स्पष्ट किया। इस अवसर पर सौर-पम्प के दवारा पानी खींचने और टपक सिंचाई के द्वारा आबोली की सिंचाई का प्रदर्शन भी किया गया। इस कार्यक्रम में लाभकारी अंतर-फसलों की खेती के लिए संग्रहीत पानी के किफ़ायती उपयोग तथा आम के लिए संकटकालीन सिंचाई पर ज़ोर दिया गया।
इसके बाद, कृषि-बागवानी फसलों के उत्पादन में केंचुओं के उपयोग के माध्यम से मृदा के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कृषि-अपशिष्टों को अमूल्य खाद के रूप में परिवर्तित करने के द्वारा केंचुआ खाद बनाने की विधि का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर जैविक अपशिष्टों के शीघ्र अपघटन के लिए केंचुओं की बहु-जातियों का उपयोग तथा पर्यावरण को प्रदूषित किए बिना अधिक पैदावार और आय प्राप्त करने हेतु रासायनिक उर्वरकों पर अधिक निर्भर रहने को कम करने के लिए केंचुआ खाद के उपयोग पर ज़ोर दिया गया।