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मलवल्ली में आबोली की अर्का चेन्ना किस्म पर प्रक्षेत्र दिवस

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भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने 16 जनवरी 2020 को माण्ड्या जिले के मलवल्ली तहसील के दोड्डाबुवनहल्ली गाँव में किसान के खेत में आबोली की किस्म अर्का चेन्ना पर प्रक्षेत्र दिवस आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम पिछले 8 वर्षों से आबोली उगाने वाले और पिछले 3 वर्षों से आईआईएचआर की किस्मों को उगाने वाले श्री महेश के खेत में आयोजित किया गया था।

श्री महेश एक मध्यम किसान होते हुए आजकल अपनी उद्यमिता के कारण बहुत लोकप्रिय है। लगभग 6 वर्षों से वे आबोली की देशी किस्में उगा रहे थे और स्थानीय बाज़ारों में बेचते थे। लगभग 4 साल पहले आईआईएचआर में आयोजित क्षेत्रीय बागवानी मेले में आए और आईआईएचआर की आबोली की किस्मों के खेत देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए। डॉ. सी. अश्वथ, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी अध्यक्ष, पुष्प विज्ञान एवं औषधीय फसल विभाग ने उनको समझाया कि आईआईएचआर की किस्मों को उगाएँ। श्री महेश ने आईआईएचआर की आबोली किस्मों, जैसे अर्का श्राव्या, अर्का श्रीया और अर्का अंबरा की खेती करने लगे और उन्हें लाभ भी प्राप्त हुए। हाल ही में उन्होंने अर्का चेन्ना किस्म के 2000 पौधों को लगाया और उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होने लगे।

अर्का चेन्ना पर प्रक्षेत्र दिवस

अर्का चेन्ना किस्म की लोकप्रियता और लाभकारिता को ध्यान में रखते हुए भा.कृ.अनु.प.-भा.बा.अनु.सं. ने माण्ड्या जिले के मलवल्ली तहसील के दोड्डाबुवनहल्ली में अधिक किसानों को शामिल करते हुए और उन्हें इसकी लाभकारिता के बारे में समझाने हेतु प्रक्षेत्र दिवस आयोजित किया।

श्री महेश ने आबोली किस्म से संबंधित अपने अनुभवों को दूसरे बागवानी किसानों से साझा किया। इस प्रक्षेत्र दिवस में विभिन्न गाँवों से 56 किसानों ने भाग लिया। इस दौरान वैज्ञानिक-किसान परिचर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें अधिकांश किसानों ने अपने अनुभवों बाँटा।

डॉ. सी. अश्वथ ने श्री महेश के प्रयासों की सराहना की और किसानों को आबोली की सभी किस्मों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बाज़ार की पसंद के आधार पर किसान उपयुक्त उत्पादन तकनीकियों को अपनाते हुए आबोली की खेती कर सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान भी किया। श्री महेश को लगता है कि अर्का चेन्ना किस्म सभी छोटे और सीमांत किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। उन्होंने आईआईएचआर द्वारा अनुशंसित दूरी यानी पौधे से पौधे के बीच 2 फीट तथा पंक्ति से पंक्ति के बीच 3 फीट की दूरी में आबोली के 2000 पौधे उगाने के अपने अनुभवों को अन्य किसानों से साझा किया। उन्हें प्रति हफ्ते 65 कि.ग्रा. फूल प्राप्त होते हैं और प्रति कि.ग्रा. के लिए रु. 350/- की कीमत भी मिलती है। अर्का चेन्ना किस्म उच्च पैदावार वाली किस्म है और इसमें मध्यम आकार के फूल लगते हैं, जो बाज़ार में अत्यंत पसंदीदा है।

इस कार्यक्रम से सभी किसान बहुत खुश थे और सभी ने श्री महेश की सराहना की। डॉ. बी. नारायणस्वामी, प्रधान वैज्ञानिक (विस्तार) ने इस कार्यक्रम का समन्वयन किया और उन्होंने किसानों को आईआईएचआर की सभी विस्तार गतिविधियों जैसे प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, प्रक्षेत्र दिवस, प्रशिक्षण, प्रदर्शिनियाँ और विशेष बृहत कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय बागवानी मेला की जानकारी भी दी।