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शीटाके मशरूम (लेंटीनुला इडोडस)

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इस मशरूम का रंग भूरा होता है, गलफड़े एवं डंठल सफेद होता है। इसे जीवाणुहीन लकड़ी भूसी तथा ठोस वृक्ष के लकड़ी-टुकड़ों के मिश्रण पर उगाया जा सकता है। इसके अंडजनन के लिए 25-28°से. तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी अंडजनन की अवधि 80-90 दिन है। इसमें फलन प्रेरित करने हेतु ठंडा जल संघात उपचार किया जाना आवश्‍यक होता है। इसके फसल उगाने के लिए अनुकूल तापमान 22-26°से., आर्द्रता 80-85%, कम प्रकाश और बेहतर वायु संचारण की आवश्यकता होती है। मशरूम की फसल-कटाई 3-4 फ्लश में की जाती है और उसके बाद पूरी फसल अवधि तक की जाती है। इसकी फसल अवधि चक्र 110-120 दिन है। इसकी जैविक दक्षता क्षमता 50-100% है। 25-30°से. पर इसकी निधानी आयु 2-3 दिन तथा 4°से. पर 10-12 दिन है। इसकी प्राकृतिक खेती भारत के किसी भी क्षेत्र में, जहां तापमान 20-25°से. के बीच रहता है, तथा सभी क्षेत्रों में नियंत्रित पर्यावरण के तहत की जा सकती है। कोड़ागु, चिकमंगलूर कोड़ाइकनाल, ऊटी, कोन्नूर, पूर्वोत्तर रात्य, जैसे कि मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और अरूणाचल प्रदेश में इसकी प्राकृतिक खेती पूरे वर्ष की जा सकती है। अन्‍य क्षेत्रों में इसकी खेती ऋतु के अनुसार की जा सकती है। इसका विपणन ताजे, शुष्‍क या मशरूम पाउडर के रूप में किया जा सकता है। मशरूम अवशेष अवस्तर (एसएमएस) का उपयोग केंचुआ खाद के लिए एक बेहतरीन जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है।